कौन हैं खाटू श्याम बाबा ?

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हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा 

 भारत की पावन भूमि पर अनेक दिव्य और चमत्कारी देव स्थान हैं, लेकिन उनमें से एक नाम जो श्रद्धालुओं के दिलों में विशेष स्थान रखता है, वह है खाटू श्याम बाबा। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर, भक्ति, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। बाबा खाटू श्याम को कलियुग के देवता के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा को पुकारता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। इसीलिए, हर भक्त के हृदय में यह वाक्य गूंजता है - "हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा।"

खाटू श्याम बाबा कौन हैं? 

 
खाटू श्याम बाबा को श्रीकृष्ण के कलियुग अवतार के रूप में माना जाता है। उनका असली नाम बर्बरीक था, जो महाभारत के महान योद्धा घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक को बचपन से ही अद्भुत शक्तियां प्राप्त थीं। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या कर तीन बाण (तीन अमोघ तीर) और अपार बल का वरदान प्राप्त किया। उनके पास यह शक्ति थी कि वह केवल तीन तीरों से पूरी दुनिया को जीत सकते थे। महाभारत के युद्ध के समय, बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई। उन्होंने प्रण लिया था कि वह केवल हारने वाले पक्ष का साथ देंगे। जब भगवान श्रीकृष्ण को यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा ली। श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि यदि तुम युद्ध में भाग लोगे तो तुम्हारे तीन तीर ही युद्ध को समाप्त कर देंगे। इसके बाद, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका सिर दान में मांग लिया। बर्बरीक ने सहर्ष अपना सिर भगवान को अर्पित कर दिया। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के इस महान बलिदान को देखकर उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम नाम से पूजे जाओगे और तुम्हारी भक्ति से भक्तों के सभी दुख दूर होंगे। तभी से बर्बरीक खाटू श्याम बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। 

खाटू श्याम मंदिर का महत्व

खाटू श्याम बाबा का भव्य मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर का निर्माण राजा रूप सिंह चौहान ने 1027 ई. में करवाया था। यहाँ बाबा का दिव्य शीश (सिर) स्थापित है, जो कीर्ति स्तंभ के रूप में लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।

माना जाता है कि इस मंदिर में बाबा के दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। बाबा के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर में प्रतिवर्ष फाल्गुन महीने में विशाल मेला लगता है, जिसे खाटू श्याम जी का फाल्गुन मेला कहा जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।


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खाटू श्याम बाबा की महिमा

खाटू श्याम बाबा की महिमा अनंत है। कहा जाता है कि बाबा की भक्ति करने वाले भक्तों के जीवन में कभी निराशा नहीं आती। बाबा के जयकारे और कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

बाबा का प्रसिद्ध भजन - “खाटू नरेश की जय, हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा” भक्तों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। बाबा के मंदिर में आने वाले श्रद्धालु श्री श्याम नाम संकीर्तन करते हैं और बाबा का आशीर्वाद पाते हैं।

खाटू श्याम बाबा की पूजा विधि

बाबा की पूजा सादगी और प्रेम से की जाती है। बाबा को गुलाब के फूल, चूरमा, खीर और मिठाई का भोग लगाया जाता है। साथ ही बाबा को नारियल और लाल ध्वजा अर्पित की जाती है। बाबा के भक्त श्याम बाबा की ज्योत जलाते हैं और उनकी कृपा के लिए संकल्प लेते हैं। 

खाटू श्याम बाबा की कृपा

जो भी भक्त बाबा के दरबार में श्रद्धा और विश्वास के साथ आते हैं, उन्हें खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता। बाबा हर दुखी और हारे हुए का सहारा बनते हैं। इसलिए कहा जाता है - “हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा।


निष्कर्ष :

खाटू श्याम बाबा का नाम ही अपने आप में भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। बाबा का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भक्तों के लिए आशा और आस्था का केंद्र भी है। बाबा के दरबार में हर जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग आते हैं और उनकी कृपा पाते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा को पुकारता है, बाबा उसकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। इसीलिए, हर भक्त के हृदय में यह विश्वास गूंजता है - “हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा।”

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